भूतिया हवेली का रहस्य 👻 | एक डरावनी कहानी
राहुल और उसके तीन दोस्त—सुमित, रोहन और आयुष—घूमने के शौकीन थे। वे अक्सर नए-नए एडवेंचर की तलाश में गाँवों और जंगलों की तरफ निकल जाते। इस बार वे एक पुराने गाँव के पास पहुंचे, जहाँ एक सुनसान और खंडहरनुमा हवेली थी। गाँव वालों का कहना था कि वह हवेली श्रापित है और वहाँ जो भी गया, कभी वापस नहीं आया।
गाँव वालों की चेतावनी
जब राहुल और उसके दोस्तों ने गाँव वालों से हवेली के बारे में पूछा, तो सबने उन्हें वहाँ जाने से मना किया। गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति, दादा जी, ने बताया—
"आज से पचास साल पहले इस हवेली में ठाकुर रणवीर सिंह का परिवार रहता था। एक रात भयानक चीखों के साथ पूरी हवेली खून से सन गई। सुबह जब गाँव वाले पहुँचे, तो किसी का भी शव नहीं मिला, बस दीवारों पर खून के निशान थे। उसके बाद से वहाँ जाने वाला कोई भी इंसान लौटकर नहीं आया।"
लेकिन राहुल और उसके दोस्त इन बातों पर यकीन नहीं करते थे। उन्हें लगा कि यह बस एक अफवाह है और उन्होंने हवेली के अंदर जाने का फैसला किया।
रात के 12 बजे हवेली में प्रवेश
उस रात, जब पूरा गाँव सो गया, चारों दोस्त टॉर्च और कैमरा लेकर हवेली की ओर बढ़े। हवेली के चारों ओर अजीब-सा सन्नाटा था। दरवाजा हल्की सी दस्तक देते ही खुद-ब-खुद खुल गया। अंदर घुसते ही उन्हें अजीब ठंड महसूस हुई, जबकि बाहर गर्मी थी।
दीवारों पर पुराने चित्र लगे थे, जिनमें से कुछ की आँखें उन्हें घूरती हुई लग रही थीं। अचानक हवा तेज़ चलने लगी और हवेली के दरवाजे अपने आप बंद हो गए।
अजीब घटनाएँ शुरू होती हैं
आयुष ने कैमरा ऑन किया और रिकॉर्डिंग शुरू कर दी। तभी एक कोने से किसी के सुबकने की आवाज़ आई। सभी चौंक गए।
"कौन है वहाँ?" राहुल ने ज़ोर से पूछा, लेकिन जवाब नहीं आया।
सुमित ने टॉर्च उस तरफ घुमाई, तो उन्होंने देखा कि एक परछाई तेजी से दौड़कर एक कमरे के अंदर चली गई। अब सभी को थोड़ा डर लगने लगा था। लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाई और उस कमरे के अंदर झाँका।
कमरा खाली था, लेकिन वहाँ फर्श पर किसी के नाखूनों के गहरे निशान थे, जैसे कोई बचने की कोशिश कर रहा हो। अचानक, रोहन की चीख निकल गई—
"मुझे किसी ने पीछे से धक्का दिया!"
खौफनाक रहस्य का खुलासा
चारों अब घबराकर बाहर भागने लगे, लेकिन हवेली का दरवाजा अंदर से बंद हो चुका था। तभी एक धीमी मगर डरावनी हँसी गूँजी—
"तुम लोग यहाँ क्यों आए हो?"
सभी दोस्त जड़ हो गए। सामने एक धुंधली आकृति खड़ी थी—एक औरत सफेद साड़ी में, जिसके लंबे बाल थे और आँखों से खून टपक रहा था।
"यह हवेली मेरी है... कोई यहाँ से जिंदा नहीं जाता!" उसने गहरी आवाज़ में कहा।
आयुष ने हिम्मत कर कैमरा उसकी तरफ किया, लेकिन कैमरे की स्क्रीन में वह औरत नजर ही नहीं आई। तभी कमरे की खिड़कियाँ खुद-ब-खुद खुलने लगीं और हवेली में तेज हवाएँ चलने लगीं।
चारों दोस्त पूरी ताकत से दरवाजा तोड़ने लगे। तभी एक ज़ोरदार आवाज़ आई और दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया। बिना कुछ सोचे वे चारों बाहर भागे और सीधे गाँव पहुँचे।
अंत में क्या हुआ?
गाँव के लोग पहले से ही उनके लौटने की उम्मीद छोड़ चुके थे। जब उन्होंने चारों को हाँफते हुए देखा, तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ।
दादा जी ने कहा—
"तुम बचकर आ गए, यह किसी चमत्कार से कम नहीं!"
राहुल ने आयुष से कैमरा चेक करने को कहा, लेकिन कैमरा ऑन नहीं हो रहा था। जैसे ही उन्होंने बैटरी बदली और वीडियो चलाया, वे सब दंग रह गए—पूरी रिकॉर्डिंग ब्लैंक थी, जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
उस रात के बाद चारों दोस्तों ने कभी भी भूतिया जगहों की तलाश में जाने की हिम्मत नहीं की। हवेली का रहस्य अभी भी बना हुआ है, और कोई नहीं जानता कि वहाँ क्या छिपा है...
क्या आप कभी ऐसी डरावनी जगह पर गए हैं? 😱👻