Do Mendak aur Doodh ka Matka Majedar kahani कहानी: दो मेंढक और दूध का मटका




कहानी: दो मेंढक और दूध का मटका 🐸🥛

बहुत समय पहले की बात है, एक घना जंगल था जहाँ तरह-तरह के जानवर रहते थे। उसी जंगल में दो अच्छे दोस्त मेंढक भी रहते थे मीठू और ठिठू। दोनों साथ खेलते, कूदते और हर जगह घूमते रहते।

एक दिन गर्मी बहुत ज़्यादा थी और दोनों दोस्तों को बहुत प्यास लगी थी। पानी की तलाश में वे दोनों जंगल से बाहर एक गांव की ओर निकल पड़े। गांव में घूमते हुए उनकी नजर एक घर के आंगन में रखे बड़े मिट्टी के मटके पर पड़ी, जो दूध से भरा हुआ था।

ठिठू बोला, “चलो इसमें कूदते हैं, दूध भी पी लेंगे और ठंडक भी मिलेगी!”
मीठू ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद हामी भर दी। और दोनों धपाक से मटके में कूद गए।

समस्या की शुरुआत 😨

शुरुआत में दोनों ने खूब मज़े किए। दूध पीया, तैराकी की। लेकिन जैसे ही बाहर निकलने की बारी आई, दोनों घबरा गए — मटका बहुत गहरा था और उसकी दीवारें फिसलन भरी थीं।

मीठू ने तुरंत हार मान ली। वह बोला,
“हम गलती कर बैठे, अब तो कोई रास्ता नहीं है। हम मरने वाले हैं!”
वह धीरे-धीरे थकने लगा और दूध में डूब गया।

लेकिन ठिठू अलग था। उसने सोचा,
“जब तक जान बाकी है, तब तक हार नहीं मानूंगा।”

उसने अपने छोटे-छोटे पैर लगातार चलाए, तैरता रहा, संघर्ष करता रहा। घण्टों बीत गए, लेकिन ठिठू रुका नहीं।

चमत्कार होता है ✨

धीरे-धीरे, उसके लगातार चलने से दूध मथने लगा। दूध की सतह पर झाग बनने लगे और फिर झाग ने मक्खन का रूप ले लिया 🧈।

अब ठिठू ने देखा कि मक्खन इतना गाढ़ा हो गया है कि वो उस पर टिक सकता है। उसने जोर से छलांग लगाई — और वो मटके से बाहर निकल आया!

वो थक तो गया था, लेकिन जिंदा था। उसकी हिम्मत, साहस, और लगातार कोशिशों ने उसे मौत से बचा लिया।


सीख (Moral of the Story) :

"जब तक सांस है, तब तक आशा है। मुश्किलें चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर हम हार ना मानें और लगातार कोशिश करें, तो रास्ता जरूर निकलता है।"
"हिम्मत मत हारो, मेहनत मक्खन बना देती है!" 🐸💪



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