नानी माँ की मज़ेदार कहानी – चालाक खरगोश और आलसी भालू 🐰🐻
रात का समय था। नानी माँ अपनी आराम कुर्सी पर बैठी थीं और उनके चारों ओर बच्चे जमा थे। हर दिन की तरह, आज भी वे एक मज़ेदार और सीख भरी कहानी सुनाने वाली थीं। बच्चों ने जिद की—
"नानी माँ, आज कोई मज़ेदार कहानी सुनाओ!"
नानी माँ ने चश्मा ठीक किया, हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और कहानी शुरू की।
चालाक खरगोश और आलसी भालू
बहुत समय पहले की बात है। एक घना जंगल था, जिसमें कई जानवर रहते थे। उसी जंगल में एक चालाक खरगोश 🐰 और एक आलसी भालू 🐻 भी रहते थे। खरगोश बहुत मेहनती और बुद्धिमान था, जबकि भालू बहुत ही सुस्त और आलसी। उसे बस सोना, खाना और आराम करना पसंद था।
भालू की चालाकी
एक दिन भालू ने खरगोश को खेत में मेहनत करते देखा। उसके खेत में हरी-भरी फसल लहरा रही थी। यह देखकर भालू के मुँह में पानी आ गया। वह सोचने लगा कि अगर वह भी खेती करे, तो उसे बिना मेहनत किए खाना मिल सकता है।
भालू खरगोश के पास गया और बोला,
"मित्र खरगोश, तुम्हारी फसल बहुत अच्छी लग रही है। मैं भी खेती करना चाहता हूँ, लेकिन मुझे ज़्यादा मेहनत पसंद नहीं। क्यों न हम साझेदारी कर लें? तुम काम करोगे और हम फसल को आधा-आधा बाँट लेंगे!"
खरगोश समझ गया कि भालू चालाकी कर रहा है और मेहनत से बचना चाहता है। लेकिन उसने भी एक योजना बनाई।
खरगोश की चतुराई
खरगोश ने कहा,
"ठीक है भालू भैया! लेकिन पहले यह तय करना होगा कि फसल का कौन-सा हिस्सा तुम्हारा होगा – ऊपर वाला या नीचे वाला?"
भालू आलसी तो था ही, साथ ही थोड़ा मूर्ख भी। उसने सोचा कि ऊपर का हिस्सा ज़्यादा अच्छा होगा, इसलिए उसने जल्दी से कहा,
"मुझे ऊपर का हिस्सा चाहिए!"
खरगोश ने मुस्कुराते हुए गाजर 🥕 और मूली 🥕 बोईं, जो जमीन के अंदर उगती थीं। जब फसल तैयार हुई, तो भालू को सिर्फ़ सूखी पत्तियाँ और डंठल मिले, जबकि खरगोश को स्वादिष्ट गाजर और मूली!
भालू को गुस्सा आया और वह चिल्लाया,
"खरगोश! तुमने मुझे बेवकूफ बना दिया!"
खरगोश हंसते हुए बोला,
"भालू भैया, मैंने कुछ गलत नहीं किया। तुम्हें जो चाहिए था, मैंने वही दिया!"
भालू ने फिर से की बेवकूफी
भालू को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने सोचा कि अगली बार वह समझदारी से फैसला लेगा।
कुछ समय बाद फिर से फसल बोने का समय आया। इस बार भालू ने कहा,
"अबकी बार मैं नीचे वाला हिस्सा लूँगा!"
खरगोश ने फिर से चालाकी दिखाई और गेहूं 🌾 और मक्का 🌽 उगाए, जिनका ऊपरी हिस्सा खाने लायक होता है, और नीचे जड़ें बेकार होती हैं। जब फसल तैयार हुई, तो भालू को फिर से कुछ नहीं मिला!
भालू ने सिर पकड़ लिया और बोला,
"अरे! मैं फिर से बेवकूफ बन गया!"
खरगोश हंसते हुए बोला,
"मेहनत और अक्ल से ही सफलता मिलती है, भालू भैया!"
भालू को समझ आ गया कि मेहनत के बिना कुछ भी हासिल नहीं होता। उसने खरगोश से माफी मांगी और अगली बार मेहनत करने की कसम खाई।
💡 सीख (Moral of the Story)
✅ मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। जो मेहनत करता है, वही असली फल पाता है।
✅ बुद्धिमानी से काम लेना ज़रूरी है। अगर भालू ने शुरू में सोच-समझकर फैसला लिया होता, तो वह बेवकूफ नहीं बनता।
✅ आलस्य सफलता की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। मेहनत से ही इंसान तरक्की कर सकता है।
बच्चे कहानी सुनकर ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे और बोले,
"नानी माँ, भालू तो सच में बहुत मूर्ख था!"
नानी माँ मुस्कुराईं और बोलीं,
"यही तो सीख है बच्चों! मेहनत और समझदारी से ही जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है!"
बच्चों ने सिर हिलाया और सोने चले गए, लेकिन उनके मन में यह मज़ेदार कहानी हमेशा के लिए बस गई।